हेलो दोस्तों "Manjilkikhoj.in" blog मे आपका स्वागत है। इस लेख में हम संहिता ज्योतिष के विषय में विस्तार से पढ़ेंगे। समस्त मानव जीवन ज्योतिष विज्ञान पर आधारित है और आजकल बहुत सारे लोग इंटरनेट पर इसकी जानकारी ढूंढते हैं ,परन्तु उनमें सटीकता न होने पर पाठकों को निराश होना पड़ता है। इसलिए इस लेख में मैं आपको step by step संहिता ज्योतिष के बारे मे बताऊंगा।
3.संहिता
भारतीय ज्योतिष का तीसरा प्रमुख अंग संहिता शास्त्र है।वैदिक ज्योतिष की संहिता शाखा स्वयं को समझने के व्यापक पहलुओं से संबंधित है। यह निष्कर्ष निकालने के लिए वातावरण में संकेतों और अवलोकनों का उपयोग करती है। सपनों या कल्पनाओं का विश्लेषण, अचानक आवाज़ें, जानवरों या पक्षियों का दिखना, ग्रहों की चाल, मांसपेशियों का फड़कना आदि इसके उदाहरण हैं। संहिता ज्योतिष में भविष्यवाणी के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं, सामाजिक घटनाओं, राजनैतिक परिवर्तनों, और मौसम की भविष्यवाणियां की जाती हैं। यह ज्योतिष की एक प्राचीन और व्यापक शाखा है जो संपूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाली घटनाओं पर केंद्रित होती है।
संहिता ज्योतिष का परिचय
संहिता ज्योतिष का प्रमुख उद्देश्य बड़े पैमाने पर होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी करना है। इसमें मौसम की स्थिति, वर्षा, सूखा, भूकंप, राजनीतिक परिवर्तन, युद्ध, सामाजिक उथल-पुथल आदि शामिल होते हैं। इसके अंतर्गत पंचांग, वर्षफल, मुहूर्त, ग्रहण, और अन्य खगोलीय घटनाओं का विश्लेषण किया जाता है।इसके अलावा भूमि शोधन, गृह प्रारम्भ, गृह प्रवेश, जलाशय निर्माण,कूप निर्माण, मांगलिक कार्यों के मुहूर्त आदि का विवेचन किया जाता है। इसके अतिरिक्त ग्रह चाल, वर्ष लक्षण, तिथि, दिन, नक्षत्र, योग, करण, मूहूर्त , उपग्रह, सूर्य संक्रांति, ग्रह गोचर, चन्द्रमा और तारा बल , सम्पूर्ण लग्नों तथा ऋतु दर्शन का विचार, गर्भाधान, पुंसवन, सीमंतोन्नयन , जातकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, चूड़ाकरण, तत्काल वृष्टि ज्ञान कर्णवेध,उपनयन,मांजी बन्धन, क्षुरिका बन्धन,समावर्तन, विवाह, प्रतिष्ठा, गृह लक्षण, यात्रा, कर्म वैलक्षण्य तथा उत्पात के लक्षण आदि अनेक उपयोगी विषयों का ज्ञान संहिता के अन्तर्गत आता है।
नौंवी शताब्दी के आसपास इस अंग के अन्तर्गत कर्मकाण्ड को भी इसमें शामिल कर लिया गया, जिसके माध्यम से यज्ञ आदि का आयोजन किया जाने लगा।तब इस तथ्य को प्रामाणिक रूप से स्पष्ट किया गया कि यज्ञों से हम अपने अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को दूर करने में सक्षम हो सकते हैं और कर्मकाण्ड के द्वारा उन कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं,जो हमारे जीवन में कठिन या असम्भव माने जाते हैं।
धीरे-धीरे चौदहवीं शताब्दी के आसपास इस अंग का इतना अधिक विकास हो गया कि जीवन से संबंधित सभी उपयोगी विषयों का समावेश इसी के अन्तर्गत किया जाने लगा। संहिता में ग्रहण, भूकंप, आकाशीय वृत्ति, मौसम विज्ञान, वाणिज्यिक मोल भाव, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं का समावेश है।पशु-पक्षी चेष्टा ज्ञान, शकुन विचार, रत्न विद्या, अंग विद्या, आकार लक्षण, पक्षी व मनुष्य की असामान्य चेष्टाओं का चिन्तन भी संहिता विभाग का विषय
है।
संहिता ज्योतिष के प्रमुख तत्व
1. पंचांग:
पंचांग संहिता ज्योतिष का आधारभूत उपकरण है। इसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण का विवरण होता है। पंचांग के माध्यम से विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए शुभ मुहूर्त ज्ञात किए जाते हैं।
2. वर्षफल:
वर्षफल के माध्यम से पूरे वर्ष के लिए भविष्यवाणियाँ की जाती हैं। इसमें ग्रहों की स्थिति और चाल के आधार पर वर्षभर की घटनाओं का आकलन किया जाता है। यह भविष्यवाणी आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती है।
3. मौसम भविष्यवाणी:
संहिता ज्योतिष के माध्यम से मौसम की भविष्यवाणी की जाती है। इसमें वर्षा, सूखा, बाढ़, और अन्य मौसम संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है। कृषि और पर्यावरण के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
4. प्राकृतिक आपदाएँ:
भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, तूफान आदि प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी संहिता ज्योतिष के माध्यम से की जाती है। इसमें ग्रहों की चाल और विशेष योगों का अध्ययन किया जाता है।
5. सामाजिक और राजनीतिक घटनाएँ:
संहिता ज्योतिष में समाज और राष्ट्र की प्रमुख घटनाओं का विश्लेषण किया जाता है। राजनीतिक परिवर्तन, युद्ध, विद्रोह आदि की भविष्यवाणी भी इसमें शामिल होती है।
संहिता ज्योतिष के प्रमुख ग्रंथ
संहिता ज्योतिष के अध्ययन के लिए कई प्रमुख ग्रंथ उपलब्ध हैं। जिनमें वृहत्संहिता, कालक संहिता, नारद संहिता, गर्ग संहिता, भृगु संहिता, अरुण संहिता, रावण संहिता, लिंग संहिता, वाराही संहिता, मुहूर्त चिन्तामण इत्यादि प्रमुख संहिता ग्रन्थ हैं।
इन ग्रंथों में विस्तारपूर्वक विभिन्न घटनाओं और उनके परिणामों का वर्णन किया गया है। कुछ प्रमुख ग्रंथ इस प्रकार हैं:
1.बृहत्संहिता:
महर्षि वराहमिहिर द्वारा रचित यह ग्रंथ संहिता ज्योतिष का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। इसमें 100 से अधिक अध्यायों में प्राकृतिक आपदाओं, मौसम, राजनीति, और सामाजिक घटनाओं का विस्तृत वर्णन किया गया है।
2.अरुण संहिता:
यह ग्रंथ खगोलीय गणनाओं और ग्रहों की चाल के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें सूर्य, चंद्रमा, और अन्य ग्रहों की गति का विवरण दिया गया है।
3.नारद संहिता:
यह ग्रंथ सामाजिक और धार्मिक घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए प्रसिद्ध है। इसमें राजा-महाराजाओं के राजयोग और समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन पर ग्रहों के प्रभाव का वर्णन है।
संहिता ज्योतिष का महत्व
संहिता ज्योतिष का समाज और राष्ट्र के लिए अत्यधिक महत्व है। इसके माध्यम से न केवल प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना मिलती है, बल्कि समाज और राजनीति में होने वाले परिवर्तनों का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। इससे न केवल लोगों को सतर्क किया जा सकता है, बल्कि आवश्यक तैयारियाँ भी की जा सकती हैं।
1.कृषि:
किसानों के लिए संहिता ज्योतिष अत्यंत महत्वपूर्ण है। मौसम की सटीक भविष्यवाणी के माध्यम से वे अपने कृषि कार्यों की योजना बना सकते हैं। इससे फसल उत्पादन में वृद्धि होती है और प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
2.राजनीति:
राजनीतिक नेताओं और नीति निर्धारकों के लिए संहिता ज्योतिष महत्वपूर्ण है। इससे उन्हें समाज और राष्ट्र में होने वाले परिवर्तनों का पूर्वानुमान मिलता है, जिससे वे सही समय पर सही निर्णय ले सकते हैं।
3.सामाजिक समरसता:
संहिता ज्योतिष समाज में शांति और समरसता बनाए रखने में भी सहायक है। इससे समाज में होने वाली उथल-पुथल और विद्रोह की पूर्व सूचना मिलती है, जिससे उन्हें समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है।
4.आपदा प्रबंधन:
प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना मिलने से सरकार और आपदा प्रबंधन संस्थाएँ आवश्यक तैयारियाँ कर सकती हैं। इससे जान-माल का नुकसान कम किया जा सकता है।
संहिता ज्योतिष का आधुनिक युग में प्रासंगिकता
आधुनिक युग में भी संहिता ज्योतिष की प्रासंगिकता बनी हुई है। हालांकि वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति ने मौसम की भविष्यवाणी और प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान में काफी हद तक सुधार किया है, लेकिन संहिता ज्योतिष का पारंपरिक ज्ञान आज भी महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय किया जा सकता है।
1.विज्ञान और ज्योतिष का समन्वय:
आधुनिक विज्ञान और संहिता ज्योतिष के ज्ञान का समन्वय करके अधिक सटीक और प्रभावी भविष्यवाणी की जा सकती है। इससे समाज और राष्ट्र को अधिक लाभ मिल सकता है।
2.पर्यावरण संरक्षण:
संहिता ज्योतिष के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किया जा सकता है। प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना मिलने से पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
3.आधुनिक कृषि:
आधुनिक कृषि तकनीकों और संहिता ज्योतिष के ज्ञान का समन्वय करके कृषि उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। इससे खाद्यान्न संकट को दूर करने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष:
संहिता ज्योतिष भारतीय ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण और व्यापक अंग है। इसके माध्यम से समाज और राष्ट्र के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण और भविष्यवाणी की जाती है। प्राकृतिक आपदाओं, सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं की पूर्व सूचना मिलने से समाज और राष्ट्र को अधिक सुरक्षित और समृद्ध बनाया जा सकता है। संहिता ज्योतिष का पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय करके हम अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।