हेलो दोस्तों "Manjilkikhoj.in" blog मे आपका स्वागत है। इस लेख में हम "जानिए कब है गंगा दशहरा 2024: क्या है इस पावन पर्व का महत्त्व और इतिहास " के विषय में विस्तार से पढ़ेंगे। समस्त मानव जीवन ज्योतिष विज्ञान पर आधारित है और आजकल बहुत सारे लोग इंटरनेट पर इसकी जानकारी ढूंढते हैं ,परन्तु उनमें सटीकता न होने पर पाठकों को निराश होना पड़ता है। इसलिए इस लेख में मैं आपको step by step "गंगा दशहरा" के बारे मे बताऊंगा।
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गंगा दशहरा
हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है. यह ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं, इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व को देश भर में श्रद्धा और भक्तिभाव से मनाया जाता है, विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों में गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में यह पर्व 16 जून को मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा का इतिहास
गंगा दशहरा का इतिहास वेदों और पुराणों में गहराई से वर्णित है। इसके अनुसार, भागीरथी की तपस्या के फलस्वरूप गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं। राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को धारण किया और फिर धीरे-धीरे उन्हें पृथ्वी पर प्रवाहित किया। यह घटना ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को घटी थी, और इसी उपलक्ष्य में गंगा दशहरा मनाया जाता है।गंगा दशहरा का महत्वगंगा दशहरा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इसे दस पापों को दूर करने वाला पर्व माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं, इसलिए इसे दशहरा कहते हैं। यह पर्व गंगा नदी की शुद्धता और उसकी पवित्रता का प्रतीक है। भक्तजन इस दिन गंगा स्नान करके अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और पुण्य की प्राप्ति करते हैं।
गंगा दशहरा की पूजा विधि
गंगा दशहरा के दिन लोग प्रातः काल उठकर गंगा नदी या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करते हैं। इसके बाद वे गंगा माता की पूजा करते हैं और उनसे अपने पापों की क्षमा मांगते हैं। पूजा के दौरान गंगा जल, दूध, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, और कुमकुम का उपयोग किया जाता है। भक्तजन गंगा माता के सामने दीप जलाकर उनकी आरती करते हैं और उनके नाम का जाप करते हैं।
गंगा दशहरा के मुख्य रिवाज
* स्नान: गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. इस दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं ।
* पूजा-अर्चना: इस दिन लोग अपने घरों में या गंगा घाटों पर मां गंगा की पूजा-अर्चना करते हैं. उन्हें गंगाजल, पुष्प, धूप, और दीप अर्पित किए जाते हैं ।
* दान: गंगा दशहरा पर दान का भी विशेष महत्व है. गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन लोग अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा का दान करते हैं ।
* दीपदान: शाम के समय लोग दीपदान करते हैं और मां गंगा की आरती उतारते हैं ।
* व्रत: कुछ लोग गंगा दशहरा का व्रत भी रखते हैं. वे पूरे दिन उपवास करते हैं और शाम को गंगा आरती के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं ।
गंगा दशहरा का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
गंगा दशहरा का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव भी व्यापक है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि समाज में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है। गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदी है। इसकी स्वच्छता और संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए गंगा दशहरा एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन लोग नदियों की सफाई करते हैं और जल संरक्षण का संकल्प लेते हैं।
गंगा दशहरा के अन्य नाम
गंगा दशहरा को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे गंगा दशमी कहा जाता है, वहीं बंगाल में इसे गंगा महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य गंगा माता की पूजा और उनके प्रति आस्था प्रकट करना है।
गंगा दशहरा का वैज्ञानिक पक्ष
गंगा दशहरा का पर्व केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक पक्ष भी है। ज्येष्ठ मास के दौरान गंगा नदी का जल स्तर बढ़ता है और उसकी धारा तेज होती है। इस समय गंगा का जल अधिक शुद्ध और स्वच्छ होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस समय गंगा स्नान करने से स्वास्थ्य को लाभ होता है।
गंगा दशहरा और पर्यावरण संरक्षण
आज के समय में पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। गंगा दशहरा का पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी नदियों और जल स्रोतों की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। गंगा जैसी पवित्र नदी की स्वच्छता और संरक्षण का महत्व इस पर्व के माध्यम से और भी स्पष्ट होता है। यह पर्व हमें पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का बोध कराता है और हमें स्वच्छता के प्रति जागरूक करता है।
गंगा दशहरा के पौराणिक कथाएँ
गंगा दशहरा से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएँ हैं। प्रसिद्ध कथा राजा भागीरथ की है। कहा जाता है कि राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों को मुक्त करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया और फिर उन्हें धीरे-धीरे पृथ्वी पर प्रवाहित किया। इसी कारण गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है।ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा मां शिव की जटाओं से पृथ्वी पर उतरीं।
गंगा दशहरा की लोक कथाएँ और लोकगीत
गंगा दशहरा के अवसर पर विभिन्न प्रकार के लोक गीत और लोक कथाएँ भी सुनाई जाती हैं। इन गीतों और कथाओं में गंगा माता की महिमा का बखान किया जाता है। उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से इस पर्व के दौरान लोक गीत गाए जाते हैं और लोक कथाएँ सुनाई जाती हैं। इनसे न केवल गंगा माता के प्रति श्रद्धा बढ़ती है बल्कि सांस्कृतिक धरोहर भी सजीव होती है।
गंगा दशहरा का आयोजन
गंगा दशहरा के दिन विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. भजन-कीर्तन और गंगा आरती का आयोजन होता है. गंगा दशहरा के पर्व के साथ ही गर्मियों के मौसम की शुरुआत भी मानी जाती है।गंगा दशहरा के अवसर पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। गंगा आरती, भजन-कीर्तन, प्रवचन और धार्मिक यात्राएँ आयोजित की जाती हैं। हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज और पटना जैसे शहरों में विशेष आयोजन होते हैं। इन आयोजनों में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं और गंगा माता की पूजा-अर्चना करते हैं।
गंगा दशहरा और पर्यटन
गंगा दशहरा के अवसर पर देश भर से पर्यटक भी गंगा के तट पर स्थित धार्मिक स्थलों पर आते हैं। हरिद्वार, वाराणसी, ऋषिकेश, प्रयागराज आदि शहरों में इस समय काफी भीड़ रहती है। इन स्थानों पर गंगा दशहरा के अवसर पर विशेष मेले और कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होते हैं। यह पर्व धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देता है।
गंगा दशहरा 2024 का महत्व
गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से दस तरह के पापों का नाश होता है. साथ ही, इस दिन दान का भी विशेष महत्व होता है. गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। 2024 में गंगा दशहरा का पर्व 16 जून को मनाया जाएगा। इस वर्ष का गंगा दशहरा विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि यह वर्ष पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता का वर्ष भी माना जा रहा है। गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा स्वच्छता अभियान और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह पर्व हमें अपनी पवित्र नदियों की स्वच्छता और संरक्षण का संदेश देता है।
निष्कर्ष
गंगा दशहरा का पर्व हमें मां गंगा के महत्व को याद दिलाता है।यह पर्व हमें धर्म, दान, और स्नान के महत्व को भी बताता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान कर और दान पुण्य कर हम अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त कर सकते हैं।गंगा दशहरा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है जो हमें गंगा माता की पवित्रता और महत्व का बोध कराता है। यह पर्व हमें न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण संदेश देता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का भी अहसास कराता है। 2024 में गंगा दशहरा का पर्व 16 जून को मनाया जाएगा, जो हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा का संकल्प लेने का एक विशेष अवसर प्रदान करेगा।इस पर्व के माध्यम से हम गंगा माता के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्तिभाव को प्रकट कर सकते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण का संदेश दे सकते हैं।